क्रोध (ANGER)
1. क्रोध में मनुष्य की आँखे बंद हो जाती है |
और जुबान खुल जाती है |
2. क्रोध करने का मतलब है |
दूसरो की गलतियो की सजा अपने को देना |
3. क्रोध में की गई सब बाते
अंत में उल्टी पड़ जाती है |
4. क्रोध सदैब मूर्खता से शुरू होती है |
तथा पशचाताप पर समाप्त होता है |
5. सुबह से शाम तक काम करके आदमी इतना नहीं थकता
जितना क्रोध में एक घंटे में थक जाता है |
6. मनुष्य क्रोध में समुद्र की तरह बहरा ,
आग की तरह उताबला हो जाता है |
7. क्रोध समझदारी को घर से बाहर निकाल देता है |
और दरबाजे पर चटकनी लगा देता है |
8. क्रोध तो बरैया के छते में |
पत्थर फेकने के समान है |
9. मोंन अंत की भाषा है |
10. मोंन सर्बोतम भाषा है |
अगर बोलना ही हो तो कम से कम बोलो
एक शब्द से काम चल जाय तो दो न बोलो |
11. क्रोध को प्रेम से , पाप को पुन्य से |
लोभ को दान से , असत्य को सत्य से जीत लो |
1. क्रोध में मनुष्य की आँखे बंद हो जाती है |
और जुबान खुल जाती है |
2. क्रोध करने का मतलब है |
दूसरो की गलतियो की सजा अपने को देना |
3. क्रोध में की गई सब बाते
अंत में उल्टी पड़ जाती है |
4. क्रोध सदैब मूर्खता से शुरू होती है |
तथा पशचाताप पर समाप्त होता है |
5. सुबह से शाम तक काम करके आदमी इतना नहीं थकता
जितना क्रोध में एक घंटे में थक जाता है |
6. मनुष्य क्रोध में समुद्र की तरह बहरा ,
आग की तरह उताबला हो जाता है |
7. क्रोध समझदारी को घर से बाहर निकाल देता है |
और दरबाजे पर चटकनी लगा देता है |
8. क्रोध तो बरैया के छते में |
पत्थर फेकने के समान है |
9. मोंन अंत की भाषा है |
10. मोंन सर्बोतम भाषा है |
अगर बोलना ही हो तो कम से कम बोलो
एक शब्द से काम चल जाय तो दो न बोलो |
11. क्रोध को प्रेम से , पाप को पुन्य से |
लोभ को दान से , असत्य को सत्य से जीत लो |
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